घोटिया अम्बा में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान दिन गुजारे थे
आदिवासियों की प्रसिद्ध तीर्थस्थली है घोटिया अम्बा
बांसवाड़ा। आदिवासियों की तीर्थस्थली घोटिया अम्बा बांसवाड़ा से करीब 35 किमी दूर स्थित है। इस जगह का काफी पौरणिक महत्व है। यह जिले की बागीदौरा पंचायत समिति के बारीगामा ग्राम पंचायत क्षेत्र अंतर्गत आता है। आपको बता दें कि पांडवों की वजह से यह तीर्थ का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दिन गुजारे थे। इसलिए यहां पर स्थित कुंड को पांडव कुंड कहा जाता है। घोटिया अम्बा में प्रतिवर्ष चैत्र माह में एक विशाल मेला लगता है, इसमें भारी संख्या में आदिवासी भाग लेते हैं। बेणेश्वर मेले के बाद यह आदिवासियों की दूसरा बड़ा मेला है।
खूबसूरत वादियों के बीच बसा हुआ है घोटिया अम्बा
घोटिया अम्बा बांसवाड़ा से 35 किमी दूर खूबसूरत वादियों में बसा हुआ है। इसे महाभारत काल के दौरान पांडवों के छुपने का स्थान माना जाता था। यही कारण है कि घोटिया अम्बा को जिले के सभी पर्यटन स्थलों के बीच एक विशेष महत्व मिला हुआ है। यहां के स्थानीय लोगों को विश्वास हैं कि आम का पेड़ (जिसे स्थानीय बोली में अंबा कहा जाता है) पांडवों द्वारा लगाया गया था। इस वजह से इसे घोटिया अम्बा का नाम दिया गया। हर साल हिंदू माह चैत्र में एक विशाल मेला लगाया जाता है जहां राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के तीर्थयात्रियों में बड़ी संख्या में आते हैं।
केलापानी का भी है विशेष महत्व
इस स्थान के पास एक केलापानी नामक स्थान है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर पांडवों ने केलों के पत्तों पर ऋषियों और संतों को खाना खिलाया था। यह मंदिर और जगह राजस्थान सरकार देवस्थान विभाग द्वारा देखी जाती है।
यहां के कुंड का पानी बोतलों में भरकर ले जाते हैं
पहाड़ा से रिसकर कुंड में भरने वाला जल अत्यन्त पवित्र एवं चमत्कारिक है। मेलार्थी इस पानी का आचमन करते हैं। मान्यता है कि इससे दैहिक, दैविक एवं भौतिक प्रकोप शांत हो जाते हैं। मेले के दिनों में इस दिव्य जल को पाने के लिए लोगों में होड़ मची रहती है। ये लोग यहां से अपने बोतलों में भरकर इस पानी को अपने घर ले जाते हैं।
स्वर्ग में अपने घर के लिए करते हैं आरक्षण
घोटिया अम्बा एवं केलापानी तीर्थ की यात्रा के दौरान दूर-दूर तक काले पत्थरों के ढेर दिखाई देते हैं। श्रद्धालु यहां पर इन पत्थरों को एक-दूसरे पर जमाकर प्रतीकात्मक घर बनाते हैं। इसके पीछे वजह यह है कि ऐसा करने से स्वर्ग में अपने लिए घर का आरक्षण हो जाता है।
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